श्री शंकराचार्य परिचय

अनन्तश्री विभूषित पश्चिमाम्नाय  द्वारकाशारदापीठाधीश्वर धर्म सम्राट जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी  महाराज का जीवन परिचय-

पूज्य महाराजश्री का जन्म भाद्रकृष्ण द्वितीया सं. 2015 (31 अगस्त 1958) को नरसिंहपुर जिले के करकबेल के पास बरगी ग्राम में हुआ, आपकी माता जी का नाम स्व. श्रीमती मानकुंवर देवी व पिता का नाम आयुर्वेदरत्न स्व, पं. श्री विद्याधर अवस्थी था। आपकी प्राथमिक शिक्षा बरगी व संस्कृत शिक्षा ज्योतिरीश्वर ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय झोतेश्वर तथा बाद में व्याकरण,न्याय,वेद, वेदान्त की शिक्षा काशी में हुयी जो निरन्तर चल रही है। आपकी गुरूचरणों में अटूट श्रद्धा भक्ति को देखते हुये आपकी प्रतिभा को भांप कर आपको ब्रह्मलीन अनन्तश्री विभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरूशङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने नैष्टिक ब्रहचारी की दीक्षा प्रयाग कुम्भ में सन् 1977 ई. में देकर सदानन्द ब्रह्मचारी नाम देकर अपनी शक्तियां आशीर्वाद स्वरूप में प्रदान की, तभी से आप गुरुआज्ञा से अध्ययन अध्यापन के साथ-साथ पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज द्वारा चलाए जा रहे प्रकल्पों में सक्रिय हुये, आपका कार्य कौशल, दक्ष देखते हुये पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज ने अपने प्रकल्पों का विस्तार किया और आपको उनके संचालन का दायित्व दिया साथ ही यह निर्देश भी दिये कि व्यवस्थाओं के साथ अध्ययन में भी निरन्तरता रहे, क्योंकि ब्रह्मनिष्ठ ब्रह्मज्ञानी शङ्कराचार्य जी महाराज आपकी क्षमताओं को भलिभांति भांप चुके थे तब उन्होंने भविष्य को देखते हुये चैत्र शुक्ल त्रयोदशी सं. 2060 तदनुसार 15 अप्रैल 2003 को ब्रह्ममुहूर्त में प्रातः 4 बजकर 11 मिनट पर काशी में पूज्य महाराजश्री द्वारा दण्ड सन्यास की दीक्षा देकर स्वामी सदानन्द सरस्वती के रूप में समाज में धर्मप्रचार एवं धर्मादेश देने की आज्ञा प्रदान की। तभी से आप अपने गुरु पूज्य द्विपीठाधीश्वर जगद्गुरूशङ्कराचार्य जी महाराज की आज्ञा व उनकी मंशा के अनुरूप उनके कार्यों को मूर्त रूप देने लगे। आपने पूज्य महाराजश्री के द्वारा चलाए जा रहे प्रकल्पों को गति तो प्रदान की ही साथ ही नये प्रकल्प भी गढ़े जिनमें प्रमुख है-

श्रीदेवरामचन्द्र ब्रह्मचारी राममन्दिर का जीर्णोद्धार:-

श्रीधाम गोटेगांव स्थित भगवान राम का वर्षों पुराना जीर्ण शीर्ण मन्दिर था जिसके जीर्णोद्धार का आदेश पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज के गुरु ब्रहलीन शङ्कराचार्य जी महाराज ने दिया साथ ही श्रीधाम में ही चातुर्मास्य का आदेश भी दिया । सन् 2007 में आपने चातुर्मास्य व्रत अनुष्ठान सम्पन्न किया और चातुर्मास्य में ही मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया और मात्र 8 माह में भव्य राममन्दिर का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ और भगवान रामदरबार की स्थापना की गई।

आद्यशङ्कराचार्य शिक्षा विकास समिति का गठन:-

पूज्य महाराजश्री क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिये निरन्तर प्रयासरत रहते हैं । इसी कड़ी में झोतेश्वर के पास स्थित नगर श्रीनगर के प्रतिष्ठित प्रबुद्ध जनों के समूह ने आकर श्रीचरणों से निवेदन किया कि आपके मार्ग दर्शन में जैसे गरीब वर्ग के लोग स्कूल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं परन्तु महाविद्यालय की शिक्षा हेतु उन्हें शहर जाना पड़ता है जिसके लिये अर्थ की आवश्यकता होती है। परन्तु जैसा कि यह क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र है ऐसे में उनकी महाविद्यालयीन शिक्षा में बाधा आ रही है | आवश्यकता को देखते हुये पूज्य महाराजश्री ने आद्यशङ्कराचार्य शिक्षा विकास समिति का गठन किया और श्रीनगर में जगद्गुरु शंकराचार्य आर्ट, कॉमर्स, साईन्स कॉलेज की स्थापना की जहां वर्तमान में 600 से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं।

द्वारका शारदापीठ का जीर्णोद्धार:-

भगवान द्वारकाधीश की राजधानी देवभूमि द्वारका जहां भगवान द्वारकाधीश के मन्दिर से लगा हुआ शारदापीठ मठ स्थित है यह मठ अत्यन्त जीर्ण-अवस्था में था जिसे देखते हुए संकल्प किया कि शीघ्र ही इस मठ की गरिमा के अनुरूप इसका निर्माण कराया जाए। मात्र 3 वर्षों में भव्य शारदापीठ का निर्माण हुआ व भगवत्पाद आद्यशङ्कराचार्य व उनके चार शिष्यों की साथ ही प्रतिमा भी स्थापित की वहीं साथ ही भगवतपाद श्रीमदाचशङ्कराचार्य जी से सम्बन्धित आवश्यक ग्रन्थावलि भी स्थापित की जिससे जनमानस अद्वैत सिद्धान्त के बार में जान सके।

श्रीशारदापीठ आर्ट एवं कामर्स कॉलेज का जीर्णोद्धार:-

साथ ही शारदापीठ विद्यासभा द्वारा संचालित आर्ट, कामर्स कॉलेज भवन का भी जीर्णोद्धार कराया व उसके संकाय में भी वृद्धि की जिससे वहां आसपास निवास कर रहे क्षेत्रीय विद्यार्थियों को वहां से दूर जाकर अध्ययन न करना पड़े। वर्तमान में इस कॉलेज में 1000 से अधिक छात्र छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं।आपके द्वारा किया गया। यहां सम्पूर्ण सौराष्ट्र के इच्छुक ब्राह्मण बालकों को निःशुल्क अध्ययन के साथ आवास व भोजन भी आपके द्वारा प्रदान किया जाता है, इस विद्यालय में लगभग 200 विप्र बालक अध्ययन कर रहे हैं, यह स्थान छोटा पड़ने पर शारदापीठ जायडी में 10 करोड़ की लागत से श्री शंकराचार्य गुरुकुल का निर्माण कराया। जिसमें अब 500 ब्राह्मण बालकों के आवास भोजन व अध्ययन की व्यवस्था है। इस गुरुकुल में वेद, व्याकरण, ज्योतिष, साहित्य आदि विषय का अध्यापन कराया जा रहा है, प्रसन्नता का विषय है इस विद्यालय के छात्र जो उत्तीर्ण होकर जा चुके हैं, आज गुजरात सौराष्ट एवं भारत के विभिन्न राज्यों के सम्मानित पदों में विराजमान है।

आश्रमशाला का सौन्दर्यीकरण:-

शारदापीठ विधासभा द्वारा संचालित आश्रमशाला जहां लगभग अनुसूचित जनजाति के गरीब निराश्रित बच्चों को आवास, भोजन व शिक्षण कार्य आपके मार्गदर्शन में किया जा रहा है। यहां भी आपके द्वारा प्रार्थना हॉल, खेल मैदान व खेल उपकरण व गार्डन आदि का विस्तार आपके निर्देशन में किया गया साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य हेतु समय समय में चिकित्सकीय परामर्श लिये जाते हैं व खेल प्रतियोगिताएं योग आदि का आयोजन किया जाता है।

संस्कृत ऐकेडेमी का विस्तारण:-

अभिनव सच्चिदानन्द तीर्थ संस्कृत ऐकेडेमी जहाँ विद्वान जन आकर वैदिक पौराणिक ग्रन्थों पर शोध करते हैं व सनातन वैदिक संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हैं, यहां चारों वेद पाण्डुलिपि में विद्यमान हैं, इसके अतिरिक्त अनेकों विलुप्त हो रही पाण्डुलिपि का आपके निर्देशन में पुन: प्रकाशन या उनका शारदापीठ जगद्गुरु कुलम् की स्थापना शारदापीठ द्वारका में अभिनव सच्चिदानन्द तीर्थ भी योजना है इस शोध संस्थान के सभी ग्रन्थों संकलन विधिवत किया जा रहा है आगे आपकी यह महाविद्यालय संचालित है, जिसका विस्तार भी उपनिषदों को डिजिटल कर इन्हें संरक्षित कराना है ।

शारदापीठ गौशाला का जीर्णोद्धार:-

शारदापीठ के उद्देश्य में गौ सेवा की प्रमुखता है, जैसा की श्रुति कहती है “गावो विश्वस्मातरः” अर्थात् गाय संसार की माता हैं शारदापीठ गौशाला में 200 से अधिक गायों की नित्य सेवा पूजा की जाती है। इनके दूध से निर्मित मक्खन का भोग प्रतिदिन भगवान द्वारकाधीश को लगाया जाता है जो प्रथम भोग कहलाता है, भगवान द्वारकाधीश की मंगला आरती के बाद शारदा पीठ द्वारा माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है।

चन्द्रमौलेश्वर धाम शङ्कराचार्य नगर का जीर्णोद्धार:-

शिव के उपासक शङ्कराचार्य व शिवतत्व का ज्ञान हर क्षेत्र में कराने के उद्देश्य से ब्रहलीन शङ्कराचार्य जी महाराज द्वारा अहमदाबाद के निकट खेड़ा में शंकराचार्य आश्रम स्थापित किया गया जो की जीर्ण हो गया था जिसे देखते हुये आपने यहां पुनः मन्दिर व आश्रम संत निवास आदि का नव निर्माण कराया व श्रीयंत्र  अधिष्ठात्री देवी मां राजराजेश्वरी की भी स्थापना की, यहां भी आपके निर्देशन में सन्तों की सेवा, गौ सेवा, भोजनालय आदि का संचालन किया जाता है।

शारदापीठ सोमनाथ सन्त निवास का निर्माण:-

तीर्थक्षेत्र सोमनाथ के प्रभास पाटण, शारदामठ में सन्त निवास का अभाव देखकर व आपने यहां भव्य सन्त निवास का निर्माण कराया यहां पधारे सन्तों को आवास व भोजन की निःशुल्क व्यवस्था है।

शङ्कराचार्य बाल विद्या निकेतन की स्थापना:-

ब्रम्हलीन पूज्यपाद अनन्तश्री विभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर भगवान जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज की तपःस्थली मध्यप्रदेश के जिला नरसिंहपुर के झोतेश्वर में आपके द्वारा अनेकों प्रकल्प चलाए जा रहे हैं जिनमें प्रमुख शङ्कराचार्य बाल विद्या निकेतन गरीब आदिवासियों को अशिक्षित व अल्प शिक्षा के कारण गरीब कन्याओं के विवाह में बाधा आती देख सर्वसुविधा युक्त हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम स्कूल की स्थापना की इस सर्वसुविधा युक्त स्कूल में पहली से बारहवी तक शिक्षा प्रदान की जाती है यहां शिक्षा अतिरिक्त स्पोकन इंग्लिश, नृत्य, योग व अनेक तरह के खेल आदि का प्रशिक्षण कराया जाता है, यहां क्षेत्रिय व आस पास के लगभग 18 ग्रामों से 1200 से अधिक बच्चे स्कूल बस के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने आते हैं।

शंकराचार्य हॉस्पिटल एवं नेत्रालय:-

 आपके द्वारा झोतेश्वर में गरीब आदिवासीयों की नेत्र पीडा को देखते हुये स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा शङ्कराचार्य नेत्रालय की स्थापना दिनांक 7 जून 2013 को की गई, व भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम प्रणव मुखर्जी व पूज्य शङ्कराचार्य जी भगवान के करकमलों द्वारा लोकार्पित कराया, तभी से इस नेत्रालय में निःशुल्क नेत्रसेवा निरन्तर चल रही है। यहां मरीजों को निःशुल्क आपरेशन के अलावा भोजन, एक सप्ताह की दवा, काला चश्मा व एक माह बाद पावर वाला चश्मा निःशुल्क दिया जाता है, यहां 6 चिकित्सक अपनी सेवाएं देते हैं अभी तक यहां 75 हजार से अधिक मोतियाबिन्द के ऑपरेशन किये जा चुके हैं।एवं आस पास के लोगों को ही नहीं अपितु नरसिंहपुर जिले के समीपवर्ती स्थित सभी जिले के लोगों को अत्यंत लाभ पहुँच रहा है।

स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पूज्य महाराज श्री जी द्वारा न केवल नेत्र रोग से संबंधित अपितु सभी प्रकार के रोगों के इलाज की सुविधा शंकराचार्य हॉस्पिटल के रूप लोगों को प्राप्त हो ऐसा आदेश दिया गया है। जिसकी कार्य योजना एवं रूपरेखा पर तीव्र गति से कार्य चल रहा है निकट भविष्य में लोगों को सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी।

पूज्य महाराज श्री जी द्वारा धार्मिक जनचेतना हेतु धर्म संचार यात्रा:-

ब्रह्मलीन द्वीपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य जी भगवान की प्रेरणा से पूज्य महाराजश्री जी द्वारा धार्मिक जनचेतना हेतु न केवल मध्य प्रदेश अपितु गुजरात तथा  महाराष्ट्र के अनेक स्थानों पर मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन तथा हनुमान जी भगवान की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर आम जन मानस में वैदिक सत्य सनातन धर्म की महत्ता एवं विदेशी ताकतों द्वारा चलाए जा रहे धर्म परिवर्तन जैसे षड्यन्त्र को विफल किया। ताकि दीन हीन व्यक्तियों को धन तथा अन्य सुविधाओं का लालच देकर जो धर्म परिवर्तन करवाने के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा रहा है वह पूर्णतः बंद हो सके।

पूज्य महाराजश्री द्वारा प्रकाशित ग्रन्थ:-

माधवीयश्रीमच्छङ्करदिग्विजय (डिम्डम नाम संस्कृत टीका एवं सदगुरु सपर्या नाम्नीहिन्दीटीका सहित) सामवेद (कौथुमाधवीय श्रीमच्छङ्करदिग्विजय (डिडिम नाम संस्कृत टीका एवं सदगुरु सपया नाम्नीहिन्दीटीका सहित), सामवेद (कौथुमशाखीय गानार्चिकपदस्तोभः), सामवेद (राणायणी शाखा), ईशादिपञ्चोपनिषद् (ईश, कठ, केन, प्रश्न, मुण्डक, सौन्दर्य- लहरी (संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, आंग्लभाषा सहितम् ) तिपुरसुन्दरी नित्याराधनस्तोत्राणि आङ्कराचार्य जीवन-परिचय (हिन्दी, गुजराती, आंग्ल में, दिव्य-द्वारका भव्य शारदापीठ, भज गोविन्दम्, परमार्थ-पथ (हिन्दी, गुजराती), वार्षिक शोध पत्रिका प्रदीप भागवत प्रबोध (हिन्दी, गुजराती), शङ्कराचार्य सर्वस्वम् श्रीनवभारती पत्तिका (मासिक), शाङ्कर पञ्चकम् (संकलन), धर्मरथ (ज.गु.शङ्कराचार्य महाराज के प्रवचनों का संग्रह, हिन्दी, मराठी में), प्रवचन प्रसून, संसार सागर से समुद्धरण, चमत्कार चिन्तामणि (गुजराती अनुवाद सहित), कालिदास की कारक योजना, दिव्य-द्वारका, ग्रह मङ्गलाष्टकम्, ईशावास्योपनिषद् (संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, आंग्लभाषा सहितम्) महत्संग (गुजराती), आत्मबोध, तत्त्वबोध, मणिरत्नमाला (मराठी), यतिधर्मदर्शनी श्रीविद्यानित्या विधि, ज्योतिष भाव सुधाकर, पञ्चदेवोपासना, वेदान्त- विचार – चूड़ामणि, स्वरूप सपर्या श्रीविद्यानवावरण सपर्या शारदापीठ परम्परा में चतुष्पीठ, शिवपूजा विधानम् (हिन्दी), शिवपूजा विधानम् (गुजराती), ललिता तिशती, विवेक चूडामणि, अद्वैतानुभूतिब्रह्मविदाशीर्वादच पावन तपोभूमि परमहंसी ब्रह्मसिद्धि, चेन्नम्मा, श्रुतिसार समुद्धरण, शान्ति के सागर से क्रान्ति के शिखर तक।

अनंत श्री विभूषित पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी महाराज श्री से जुडने के लिए संपर्क एवं विज़िट करें :-

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